Hello दोस्तो आज हम छत्तीसगढ़ के बारे में बात कर रहे है। छत्तीसगढ़ के विषय मे हम कुछ जानकारिया आपको बताएंगे।
छत्तीसगढ़ भारत का एक राज्य है। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन 1 नवम्बर 2000 को हुआ था। छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर है | छत्तीसगढ़ के उत्तर में उत्तर प्रदेश और उत्तर-पश्चिम में मध्यप्रदेश का शहडोल संभाग, उत्तर-पूर्व में उड़ीसा और झारखंड, दक्षिण में तेलंगाना और पश्चिम में महाराष्ट्र राज्य स्थित हैं। इस राज्य में जिलों की संख्या 27 है। राज्य की राजकीय भाषा छत्तीसगढी और हिन्दी है। खनिज राजस्व की दृष्टि से देश का दूसरा बडा राज्य है।
- धान की फसल भरपूर होने के कारण राज्य को धान का कटोरा कहा जाता है।
- कच्चे टिन का उत्पादन करने वाला देश का एक मात्र राज्य है।
- छत्तीसगढ़ में लोकसभा की 11 राज्यसभा की 5 और विधानसभा की 90 सीटें है।
- छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट बिलासपुर में स्थित है।
- राज्य में सडकों की कुल लंबाई 34930 किमी है।
- राज्य का राजकीय पक्षी पहाडी मैना है।
- राज्य का राजकीय पशु जंगली भैसा है।
- राज्य के बडे शहर रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, कोरबा, भिलाई, राजनंदगांव है।
- राज्य की प्रमुख फसलें चावल, मक्का, गेहॅू, मूंगफली, दालें, आदि हैं।
- छत्तीसगढ़ में विश्व का सबसे अधिक किंबरलाइट भंडार है
छत्तीसगढ़ के तथ्य :-
वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में भी छत्तीसगढ़ के बीहड़ वनों तथा महानदी का स्पष्ट विवरण है। स्थित सिहावा पर्वत के आश्रम में निवास करने वाले श्रृंगी ऋषि ने ही अयोध्या में राजा दशरथ के यहाँ पुत्र्येष्टि यज्ञ करवाया था जिससे कि तीनों भाइयों सहित भगवान श्री राम का पृथ्वी पर अवतार हुआ। राम के काल में यहाँ के वनों में ऋषि-मुनि-तपस्वी आश्रम बना कर निवास करते थे और अपने वनवास की अवधि में राम यहाँ आये थे। महाकवि कालिदास का जन्म भी छत्तीसगढ़ में हुआ माना जाता है। बिलासपुर जिले के पास स्थित कवर्धा रियासत में चौरा नाम का एक मंदिर है जिसे लोग मंडवा-महल भी कहा जाता है। इस मंदिर में सन् 1349 ई. का एक शिलालेख है जिसमें नाग वंश के राजाओं की वंशावली दी गयी है। नाग वंश के राजा रामचन्द्र ने यह लेख खुदवाया था। इस वंश के प्रथम राजा अहिराज कहे जाते हैं। भोरमदेव के क्षेत्र पर इस नागवंश का राजत्व 14 वीं सदी तक कायम रहा।
छत्तीसगढ़ मॆं कई जातियां और जनजातियां हैं।
जनगणना 2011 के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य की कुल जनसंख्या में से 30.62 प्रतिशत (78.22 लाख) जनसंख्या अनुसूचित जनजातियों की है। अघरीया, गोंड, कंवर, उरांव, हल्बा, कलार, मरार,भतरा, सवरा आदि प्रमुख जनजातियॉ है। अबूझमाड़िया, कमार, बैगा, पहाड़ी कोरवा तथा बिरहोर राज्य के विशेष पिछड़ी जनजातियाँ है, इनके अतिरिक्त अन्य जनजाति समूह भी है, जिनकी जनसंख्या अपेक्षाकृत कम है।
- कवर्धा जिला
- कांकेर जिला (उत्तर बस्तर)
- कोरबा जिला
- कोरिया जिला
- जशपुर जिला
- जांजगीर-चम्पा जिला
- दन्तेवाड़ा जिला (दक्षिण बस्तर)
- दुर्ग जिला
- धमतरी जिला
- बिलासपुर जिला
- बस्तर जिला
- महासमुन्द जिला
- राजनांदगांव जिला
- रायगढ जिला
- रायपुर जिला
- सरगुजा जिला
- नारायणपुर जिला
- बीजापुर
- बेमेतरा
- बालोद जिला
- बलोदाबाज़ार
- बलरामपुर
- गरियाबंद
- सूरजपुर
- कोंडागांव जिला
- मुंगेली
- सुकमा
छत्तीसगढ के प्रमुख पर्यटन स्थल :-
छत्तीसगढ़ प्रकृति की गोद में बसा हुआ है इस कारण छत्तीसगढ़ प्राकृतिक सुंदरता से भरा पड़ा है। यह राज्य देश का हृदय स्थल होने के कारण यह अनेक ऐतिहासिक, धार्मिक एवं प्राकृतिक दर्शनीय स्थलों से परिपूर्ण है |
- नवागढ़
- सेतगंगा
- चित्रकोट जलप्रपात
- तीरथगढ़ जलप्रपात
- इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान
- कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
- गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान
- कैलाश गुफा
- गंगरेल बांध
- सिरपुर
- मल्हार
- भोरमदेव मंदिर
- मैनपाट
- बमलेश्वरी मंदिर
- चैतुरगढ़
- रामझरना
- चम्पारण
- गिरौधपुरी
छत्तीसगढ़ में बहुत से वनवासी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। इनमें से कुछ प्रमुख की सूची इस प्रकार से है |
देवताओं की सूची :-
- बुढ़ादेव
- डोकरादेव
- डालर देव
- केशरपालीन
- गोदनामाता
- दुलारदई
- शीतलादई
- हिंगलाजीन
- परदेशीन
- महिषासुन मर्दिनी
- शीतला माता
- अम्बा माता
- महमाया देवी
- सौंरा देव
- दंतेश्वरी माई
छत्तीसगढ के प्रमुख व्यंजन :-
मानव सभ्यता जितनी पुरानी है लगभग उतना ही पुराना है- स्वाद का संसार।छत्तीसगढ़ संभवतः सबसे अनूठा है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति में खानपान की विशिष्ट और दुर्लभ परंपराएं हैं, जो हर प्रहर, बेला, मौसम और तीज-त्यौहार के मुताबिक सामने आती है। मांगलिक और गैर-मांगलिक दोनों प्रसंग के व्यंजनों की अपार श्रृंखला है। ये व्यंजन भुने हुए, भाप में पकाए, तेल में तले और इन तीनों की बगैर सहायता से भी तैयार होते हैं।
कुछ मुख्य व्यंजन इस प्रकार हैं :-
- तसमईखुरमी
- पपची
- अइरसा
- देहरौरी
- फरा
- चौसेला
- ठेठरी
- सोहारी
- बरा
- चीला
छत्तीसगढ़ी व्यंजन संतुलित, स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट होते हैं। साथ ही पारंपरिकता की सौंधी महक इनको बेजोड़ बनाती है। आधुनिकता के इस दौर में चूल्हा-चौके से निकले स्वाद के अपने और विनम्र संसार में उतरने का अवसर दे रहा है।
छत्तीसगढ़ के लोकगीत और लोकनृत्य छत्तीसगढ़ की संस्कृति अत्यंत समृद्ध है, जो यहां के पारम्परिक लोकगीत एवं लोकनृत्य में दिखाई देती है। यहां की संस्क़ति लोकसंस्कृति और जनजातीय संस्कृति में झलकती है। यहां के लोकनृत्य एवं जनजातीय नृत्य पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ के लोकगीतों में पंडवानी, भरथरी, चंदैनी, ढोलामारू,ददरिया, बांस गीत प्रमुख हैं, वहीं लोकनृत्यों में सुआ, राउत नाचा, करमा, ककसार, गौर नृत्य प्रमुख है।
तो दोस्तो यह थी छत्तीसगढ़ के बारे में कुछ जानकारी जो मैं आप सभी के बीच शेयर किया हु आशा करता हु की आप सभी को ये जानकारी अच्छी लगी होगी |
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शुक्रिया! 🙂
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aaacha hai cg post
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