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गुरुवार, 15 अप्रैल 2021

सत्यनारायण बाबा कोसमनारा रायगढ़ | Raigarh Ka Baba Satyanarayan Kosamnara (हठयोगी)

सत्यनारायण बाबा कोसमनारा रायगढ़ | Raigarh Ka Baba Satyanarayan Kosamnara (हठयोगी)



यह कहानी छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के देवरी-डूमरपाली गांव के बाबा सत्यनारायण से जुड़ी है। बाबा सिर्फ इशारे में बात करते हैं। कहते हैं कि वे समाज की भलाई के लिए यह कठोर तपस्या कर रहे हैं। भक्ति और अंधविश्वास..दोनों में बारीक फर्क होता है। लोगों की भलाई..प्रकृति की रक्षा का संकल्प लेकर भगवान की साधना करना भक्ति है..जबकि इसके उलट अपने स्वार्थ के लिए लोगों को भ्रमित करना अंधविश्वास। यह बाबा भक्ति का उदाहरण हैं। हठ योगी सत्यनाराण बाबा पिछले 22 सालों से एक ही जगह पर बैठकर तपस्या में लीन हैं। दैनिक क्रियाओं आदि को छोड़कर हमेशा वे उसी चबूतरे पर बैठे रहते हैं। यह जगह अब धीरे-धीरे धार्मिक स्थल का रूप ले चुकी है। यह जगह है रायगढ़ से 6 किमी दूर है। सत्यनारायण बाबा 16 फरवरी, 1998 से यहां तपस्या कर रहे हैं।  वे कोई भी मौसम हो..सर्दी-गर्मी या बारिश..कभी तपस्या अधूरी नहीं छोड़ते।


बाबा का जन्म रायगढ़ जिले के कोसमनारा से करीब 19 दूर देवरी-डूमरपाली में एक गरीब किसान दयानिधि साहू और हंसमती के घर 12 जुलाई, 1984 को हुआ था।

बताते हैं कि जब बाबा की उम्र 14 साल की थी, एक दिन स्कूल जाते समय उनके दिमाग में पता नहीं क्या आया कि वे रायगढ़ की तरफ निकल पड़े। इस तरह वे अपने गांव से 19 किमी दूर कोसमनारा जा पहुंचे। फिर वहीं के होकर रह गए।


बताते हैं कि जब बाबा की उम्र 14 साल की थी, एक दिन स्कूल जाते समय उनके दिमाग में पता नहीं क्या आया कि वे रायगढ़ की तरफ निकल पड़े। इस तरह वे अपने गांव से 19 किमी दूर कोसमनारा जा पहुंचे। फिर वहीं के होकर रह गए।बताते हैं कि बाबा शिवजी के भक्त हैं। यहां आकर उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की। फिर पूरा जीवन शिवजी को समर्पित कर दिया।बताते हैं कि बाबा शिवजी के भक्त हैं। यहां आकर उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की। फिर पूरा जीवन शिवजी को समर्पित कर दिया।


बाबा के बचपन का नाम हलधर था। लेकिन पिता उन्हें सत्यनारायण कहकर पुकारने लगे थे। गांववाले बताते हैं कि बचपन से ही बाबा शिवजी के भक्त थे। उन्होंने बचपन में 7 दिनों तक शिवजी की तपस्या की थी।

बाबा के बचपन का नाम हलधर था। लेकिन पिता उन्हें सत्यनारायण कहकर पुकारने लगे थे। गांववाले बताते हैं कि बचपन से ही बाबा शिवजी के भक्त थे। उन्होंने बचपन में 7 दिनों तक शिवजी की तपस्या की थी।

इस जगह पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। लोगों का कहना है कि बाबा किसी से कुछ नहीं लेते। वे समाज की भलाई और पर्यावरण आदि के संरक्षण के लिए यह तपस्या कर रहे हैं।



इस जगह पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। लोगों का कहना है कि बाबा किसी से कुछ नहीं लेते। वे समाज की भलाई और पर्यावरण आदि के संरक्षण के लिए यह तपस्या कर रहे हैं।


बाबा से जुड़ी मान्यता - लोगों की मान्यता है कि बाबा किसी से बात नहीं करते, जरूरत के मुताबिक इशारों से ही समझाते हैं. हर मौसम में बाबा खुले आसमान के नीचे बैठे रहते हैं. स्थानिय निवासी मुकेश शर्मा का कहन है कि लोग सत्यनारायण बाबा को अवतारी भी मानते हैं. यहां हर साल लाखों लोग बाबा के दर्शन करने आते हैं. सावन  हो या शिवरात्रि यहां भक्तों का तांता लगा रहता है.



विज्ञान को चुनौती - आर्थो सर्जन डॉ. सुरेन्द्र शुक्ला का कहना है कि एक ही स्थान पर एक ही मुद्रा में इस तरह बैठना काफी खतरनाक हो सकता है. इसमें कई तरह के कॉम्पलिकेशन आ सकता है. लोग इन्हें हठयोग भी कहते हैं मगर जानकारों की मानें तो यह विज्ञान के लिए भी चुनौती है, क्योकि एक ही स्थान पर बैठे रहना, कुछ समय उठन,  फिर वापस बैठे रहना, संयमित भोजना और हर मौसम में चंद कपड़ों में रहना विज्ञान को चुनौती देने जैसा है.

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