कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान kanger valley national park jagdalpur
जगदलपुर. प्रकृति को करीब से जानने वालों का दावा है कि पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में कांगेर घाटी इकलौता वर्षा वन है। यहां कम -से- कम इंसानी दखल है। नदी-नालों से भरपूर घाटी की पहचान कांगेर नदी है।
कांग मतलब पवित्र और एर्र मतलब पानी होता है
भाषाई जानकारों के अनुसार कांगेर शब्द की रचना गोंडी बोली के कांग और एर्र के युग्म से मिलकर हुई है। गोंडी में इस शब्द युग्म में कांग मतलब पवित्र और एर्र मतलब पानी होता है। पवित्र जलवाली घाटी में आस्था और विश्वास के साथ इतिहास के बहुत से पन्ने अभी भी उजागर होना शेष है।
गहरे कुंए में मिले हथियारों से खोज को नई दिशा
कुछ साल पहले घाटी के ग्राम कोटमसर के पास की फूलडोंगरी के एक गहरे कुंए में जंग लगे मिले हथियारों से खोज को नई दिशा मिली थी। ऐसे ही घाटी के ठेठ दक्षिण पूर्व में कोलेग से लगी तुलसीडोंगरी के पास गंगागढ़ नामक किले की पत्थर से बनी बाहरी दीवार का पता चला था।
घाटी के बारे में इतिहासकार कहते हैं कि 10-11 वीं शताब्दी में गंगवंशीय राजाओं ने जब बारसूर को राजधानी बनाई थी तब यहां से उड़ीसा की ओर जाने वाले छोटे रास्तों में यह घाटी पड़ती थी।
लकड़ी के बने कुछ पुल
बारसूर से दंतेवाड़ा से नकुलनार-कटेकल्याण, गुमलवाड़ा, बिसरपुर, तीरथगढ़, कोटमसर, नागलसर, पुलवा, तिरिया होते शबरी नदी पार कर उड़ीसा की रामगिरी पर्वत स्थित पुण्यधाम गुप्तेश्वर और उसके आगे की यात्रा की जा सकती थी। उस काल के लकड़ी के बने कुछ पुल भी यहां बिना देख-रेख के बावजूद है।
प्राणियों के शिकार के लिए बकायदा सशुल्क परमिट रियासतकाल तक इस घाटी को बस्तर के राजाओं ने अपनी शिकारगाह बना रखा था। घाटी की पूर्वी तलहटी की करपानों, कंदराओं और मैदानों में विचरने वाले प्राणियों के शिकार के लिए बकायदा सशुल्क परमिट जारी हुआ करते थे। इतिहास के गौरव के साथ कांगेर घाटी कुदरती खूबसूरती के लिए विख्यात है।
रायपुर, हैदाराबाद, विशाखापट्नम एवं भुवनेश्वर हवाई मार्ग से जुड़े। निकटतम रेलवे स्टेशन जगदलपुर है। जगदलपुर की रायपुर से दूरी 308 किमी है। जगदलपुर से 27 किमी पर राष्ट्रीय उद्यान है। विशाखापट्नम से दूरी 313 किमी है। 16 जून से 31 अक्टूबर तक बंद रहता है क्योंकि इस दौरान यहां पर भारी बारिश होती है।
राष्ट्रीय उद्यान के सभी नियमों का पालन करें। जीप/कार के साथ गाइड अनिवार्य रूप से ले जाएं। गांववालों और गाइडों के मार्गदर्शन में पूरी घाटी की प्रकृति और संस्कृति का पूरा आनंद लिया जा सकता है।
वन्यप्राणी | Wildlife found in kanger valley national park
कांगेर घाटी नेशनल पार्क हमेशा से पशुवर्ग के रहने के लिए एक बेहद अनुकूल स्थान रहा हैं। इस नेशनल पार्क में खास रूप से एशियाई हाथी और घड़ियाल के साथ कई लुप्तप्राय वन्यप्राणी और गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों का आवास है। कांगेर घाटी सफारी यहाँ साल भर आने वाले पर्यटकों को लुभाने के लिए बेहद खास है। इस सफारी ड्राइव में सबसे मुख्य आकर्षण रॉयल बंगाल टाइगर है। यहाँ पाई जाने वाली अन्य प्रजातियाँ जैसे एशियाई ब्लैक बीयर, वॉकिंग डियर, हॉग डियर, सांभर, स्लॉथ भी बेहद खास है। कांगेर घाटी नेशनल पार्क पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग के सामान है क्योंकि यहाँ पक्षियों की 600 प्रजातियों का घर है जिनमे ग्रेट चितकबरा हॉर्नबिल, सफेद पीठ वाला गिद्ध। मोर, हॉजसन बुशचैट, नारंगी स्तन वाले हरे कबूतर, समुद्री मछली ईगल, गोल्डन ओरियो, मछली उल्लू, शामिल हैं। कांगेर घाटी नेशनल पार्क में लुप्तप्राय सरीसृप, मुगर मगरमच्छ, और किंग कोबरा भी पाए जाते हैं।
कांगेर घाटी में आर्कषण का मुख्य केन्द्र | Main center of attraction in kanger valley National Park
कांगेर घाटी नेशनल पार्क आने का सही समय | Best time to visit kanger valley National Park
इंद्रावती नेशलन पार्क छत्तीसगढ़ के दक्षिण क्षेत्र में स्थापित होने के कारण यहां गर्मियों के दिनों में काफी तेज गर्मी का सामना करना पड़ता है, गर्मी के दिनों में यहां आने से बचे यहां आने का उपयुक्त समय सितम्बर मध्य से लेकर आप फरवरी मध्यवधी में आकर आप यहां की सौन्दर्य की का आनंद उठाये और बन्य प्राणियों को जनदीक से देखने का अवसर प्राप्त करें।
कांगेर घाटी नेशनल पार्क कैसे पहुंचे How to reach kanger valley National Park
इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान आप जगदलपुर के रास्ते आसानी से पहुंच सकते हैं। कुटरू नामक गांव इस राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य प्रवेश बिंदु माना जाता है, जो जगदलपुर–भोपालपट्टनम रोड से 22 कि.मी की दूरी पर स्थित है। । रेल मार्ग के लिए आप जगदलपुर रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं।
Nice
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